तुलसी कुंवरी बनी है दुल्हन - Tulsi Kuwari Bani Hai Dulhan
(तुलसी विवाह गीत - Tulsi Vivah Geet )
तुलसी कुंवरी बनी है दुल्हन
दूल्हा सालिग्राम सखियों दो ताली
दो दो दो ओ बहना दो ताली
दो दो दो ओ बहना दो ताली
अरे नीले नीले नभ के मंडप के नीचे
धरती पे है धूम धाम सखियों दो ताली
तुलसी कुंवरी बनी है दुल्हन
दूल्हा सालिग्राम सखियों दो ताली
दूल्हा सालिग्राम सखियों दो ताली
दो दो दो ओ बहना दो ताली
प्रभु की प्यारी हैं ये तुलसी गोरी
हर दुल्हन से है न्यारी
हर साल होता है इसका लगन
पर रहती सदा ये कुवारी
जहाँ जहाँ जिस घर मैं तुलसी
वहां वहां घर है चारों धाम
सखियों दो ताली
तुलसी कुंवरी बनी है दुल्हन
दूल्हा सालिग्राम सखियों दो ताली
दूल्हा सालिग्राम सखियों दो ताली
दो दो दो ओ बहना दो ताली
ये तुलसी है उतनी ही पावन
जितनी है नदियों में गंगा
प्रेम और भक्ति का देखो
मिलन अब लोगों ये रंग बिरंगा
अरे जुग जुग तक जगमगाती रहे
जोड़ी ये ललित ललाम
सखियों दो ताली
सखियों दो ताली
दो दो ओ बहना दो ताली