शादी हर किसी के जीवन का बहुत खूबसूरत पल होता है शादियों में अनेक रस्मे होती है जिनका एक निश्चित मुहूर्त स्थान होता है धार्मिक प्रथाओ के मुताबिक शादी की रस्मों की शुरुआत मंडप (Mandap) से होती है. मंडप (Mandap) वह स्थान है जहाँ वर तथा वधु एक नए बंधन में बध जाते है जाता है आइये जानते है मंडप (Mandap) के बारे में - Mandap Ka Mahatva In Hindi
शादियों में मंडप का महत्व - Mandap Ka Mahatva In Hindi
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आज कल के दौर में मंडप की कई नयी नयी तरीकों से तैयार किया जाता है जो फूलों से बना होता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार मंडप में केले के पत्ते जरूर लगाने चाहिए ऐसा मन जाता है की केले के पेड़ में विष्णु का वास माना गया है फूलों वाले मंडप पर चार खंबे लगते हैं और फूलों की झालर लगती है, जिससे यह मंडप खूबसूरत होने के साथ शोभायमान लगता है विवाह मंडप में बांस की सरपत भी लगाई जाती है ऐसा मन जाता है की बांस और सरपत को वृद्धि का द्योतक होती है मंडप में कलश की स्थापना की जाती है क्योंकी की कलश में देवताओं का वास होता है और इस लिए कोई भी सुबह कार्य से पहले वहां कलश स्थापना की जाती है उसकी पूजा कर हम देवताओं को खुश करते है तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं साथ ही कलश के सामने पति-पत्नी अग्नि के सामने सात फेरे लेकर संकल्प करते है क
कि हमेशा एक-दूसरे के साथ बने रहेंगे शादी की सारी रस्मे मंडप में की जाती है मंडप में वर वधु की माँगा में सिंदूर भरता है फेरों की रस्म तथा मंगलसूत्र पहनने की रस्म भी मंडप में ही की जाती है मंडप में वर वधु तथा उनके परिवार के लोग और पंडित जी बैठते है मंडप शादी वाले दिन एक शुभ महूर्त में गाढ़ा जाता है तथा शादी के बाद इसे शुभ मुहूर्त में पूजन करके विसर्जित किया जाता है ऐसा मन जाता है की कि शादी के शुभ मुहूर्त पर पंडित जी के आवाहन पर सभी देवता मंडप के नीचे विराजमान होते है और वर वधु के आने वाले वैवाहिक जीवन के लिए खुश रहने का आशिर्वाद देते है हिन्दुओं में होने वाली शादी-ब्याह में मंडप सबसे अहम होता है मंडप का मतलब महज आम के पत्ते या फूस का छप्पर बनाना ही नहीं होता मंडप के साथ साक्षी होते हैं वे देवता जिनको मंत्रो द्वरा आह्वान करके बुलाया जाता है देवता नए जीवन में प्रवेश करने वाले वर-वधू दाम्पत्य जीवन में खुश रहने का आशिर्वाद देते है और उनके सच्चे बंधन के साक्षी बनते हैं.मंडप धार्मिक और वेदिक महत्व भी माना जाता है विवाह मंडप में जिन वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है या रखा जाता है उसके अर्थ से कम ही लोग जानते है एक-एक वस्तु का अपना अलग महत्व और अर्थ होता है
कि हमेशा एक-दूसरे के साथ बने रहेंगे शादी की सारी रस्मे मंडप में की जाती है मंडप में वर वधु की माँगा में सिंदूर भरता है फेरों की रस्म तथा मंगलसूत्र पहनने की रस्म भी मंडप में ही की जाती है मंडप में वर वधु तथा उनके परिवार के लोग और पंडित जी बैठते है मंडप शादी वाले दिन एक शुभ महूर्त में गाढ़ा जाता है तथा शादी के बाद इसे शुभ मुहूर्त में पूजन करके विसर्जित किया जाता है ऐसा मन जाता है की कि शादी के शुभ मुहूर्त पर पंडित जी के आवाहन पर सभी देवता मंडप के नीचे विराजमान होते है और वर वधु के आने वाले वैवाहिक जीवन के लिए खुश रहने का आशिर्वाद देते है हिन्दुओं में होने वाली शादी-ब्याह में मंडप सबसे अहम होता है मंडप का मतलब महज आम के पत्ते या फूस का छप्पर बनाना ही नहीं होता मंडप के साथ साक्षी होते हैं वे देवता जिनको मंत्रो द्वरा आह्वान करके बुलाया जाता है देवता नए जीवन में प्रवेश करने वाले वर-वधू दाम्पत्य जीवन में खुश रहने का आशिर्वाद देते है और उनके सच्चे बंधन के साक्षी बनते हैं.मंडप धार्मिक और वेदिक महत्व भी माना जाता है विवाह मंडप में जिन वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है या रखा जाता है उसके अर्थ से कम ही लोग जानते है एक-एक वस्तु का अपना अलग महत्व और अर्थ होता है
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