माता के लोकगीत - मलिन -Mata Ke Lokgeet- Malin
अच्छी मलिन री फूल वींन लाओ नं
दन वन से ओ देवी के भवन से
बारह बारह कोस की विकट उजार
यहाँ मेरे मालिया ने लगाईं फुलवाड
अच्छी मलिन री.....
खड़े से बिनु मेरी कमर पिराय
बैठे से बिनु मेरी मालिया रिसाय
अच्छी मलिन री.....
रात के फुलवा रखे कुम्हलाय
सुबह के फुलवा भव भजनी पे जाय
दूध पूत देवी पे जाय
जगदम्बे पे जाय
अच्छी मलिन री.....
जो में जणू लागुन्रिया मेरो जेठ
मात लेती घुघट उघर लेती पेट
अच्छी मलिन री.....
जो में जानू जलपदे मेरी सास
डार देती पिढला में दाव देती पावँ
अच्छी मलिन री.....
वांस छबरिया ली मंगवाय
फुलवा बिनन को मलिन जाय
अच्छी मलिन री.....
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