
माता के लोकगीत - मेहंदी के गीत -Mata Ke Lokgeet- Menhdi Ke Geet
धांधू पूछे बात
धनिया कहाँ रचाये हाथ
बड़े बूढ़े पूछे बात
धनिया कहाँ रचाये हाथ
में तो गई भवन के पास
मेने पकडे मेहदी के पात
मेने तोड़े मेंहदी के पात
मेने पीसी सारी रात
मेरे रच गए दोनों हाथ
मेने गायो सारी रात
बजायो सारी रात
महामाई की मेहदी बड़ी रचनी
अलबेली की मेंहदी बड़ी रचनी
(इसी तरह अपने सभी घरवालों के नाम लेती जाए )