माता महागौरी मां दुर्गा का आठवीं शक्ति स्वरूप है ऐसा माना जाता है की माता महागौरी की उपासना सेअसंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं माँ महागौरी की आराधना से सभी प्रकार के रूप और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है माता महागौरी का रूप बहुत ही सोम्य तथा मनमोहक है महागौरी की चार भुजाएं हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल है, दूसरे हाथ से अभय मुद्रा में हैं, तीसरे हाथ में डमरू सुशोभित है और चौथा हाथ वर मुद्रा में है.इस नवरात्री -माता महागौरी मंत्र तथा स्तोत्र पाठ - Navratri-Mata Mahagauri Dhyan Mantra tatha Stotr Paath से करे माता महागौरी की आराधना
नवरात्री -माता महागौरी मंत्र तथा स्तोत्र पाठ - Navratri-Mata Mahagauri Dhyan Mantra tatha Stotr Paath
ध्यान मन्त्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
माता महागौरी का स्तोत्र पाठ
:
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
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